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टैक्नोलोजी के विकास के साथ माता पिता की बढती भूमिका !!

Deepak's View
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दोस्तों.. हम सभी जानते हैं के आज का युग कंप्यूटर का युग है .!
यहाँ दिन प्रतिदिन नये नये आविष्कार हो रहे हैं जो हमारी सामाजिक व्यवस्था में बहुत ज्यादा मायने रखने लगे हैं,! हर दिन टैक्नोलोजी के विकास के साथ हमारे समाज में माता पिता की भूमिका भी बढती जा रही है ….. और ये बात मैं नही कह रहा हूँ ये बात कह रहें हैं हिंदुस्तान में होती हुई घटनाओं के आकडे … जिनमे शामिल ज्यादातर मुलजिम वो नवयुवक हैं जिन्होंने अभी तक अपनी जिन्दगी में जिम्मेदारियों का क ख ग भी नही पढ़ा है… !!
ये नवयुवा समाज बढ़ते हुए टैक्नोलोजी प्रयोग के दुष्परिणामों के सताये हुए हैं… क्यूंकि कहीं न कहीं इनके माता पिता ने शायद अपनी बढती हुई भूमिका पर ध्यान नही दिया और ये नवयुवा .. ये भारतवर्ष के नौजवान कंप्यूटर के इस युग में टैक्नोलोजी का सदुपयोग करने के बजाय दुरूपयोग करते चले गये और मुलजिम बन गये ..!!
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दोस्तों के साथ स्कूल कॉलेज में आने वाले बच्चों के साथ रैगिंग करना … जो के आज का शौक बन चुका है ! आज कल समाज में बढ़ते हुए बलात्कार के केस यही बताते हैं के हमारे नवयुवाओं ने टैक्नोलोजी का दुरूपयोग ज्यादा अच्छे से समझ लिया है और इस में उनके माता पिताओं का उनके ऊपर ध्यान न देना एक वरदान है…!
जैसा की हम सब जानते हैं के कंप्यूटर में बस एक नेट लगाओं और अच्छी . सामाजिक … ज्ञान की बातें कम पर अश्लील और असामाजिक बातें ज्यादा मिल जाती हैं आपको…!! बस यहीं से शुरु होता है हमारे नवयुवाओं का चरित्र का पतन.. ! जो माता पिता अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं वो कहीं न कहीं अपने बच्चों को गलत राह पर जाने से रोक लेने में सक्षम होते हैं.!
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कंप्यूटर के बाद एक और अस्त्र है आज कल जो छोटे छोटे बच्चों के हाथ में भी मिल जायेगा… जानते हैं आप सभी .. जी हाँ मैं मोबाइल की बात कर रहा हूँ..!
टैक्नोलोजी के विकास के साथ साथ मोबाइल की कीमत दिन प्रतिदिन गिर रही है जबकि उसमे मिलने वाली सुविधाएँ बढ़ रहीं हैं… आज हर किसी के हाथ में स्मार्ट फ़ोन है जिसमे एम एम एस .. विडियो … और इन्टरनेट की सुविधा उपलब्ध है…!!
आजकल लड़के लडकियां माँ बाप से छिपकर बातें करते रहते हैं और दोस्ती की हदों से निकल कर प्यार की गलियों में घूमने लगते हैं … और ये प्यार की गलियाँ कब उनके बदन के कपड़ों को निकाल देती हैं उन्हें पता नही चलता …. हाँ प्यार करते हुए मोबाइल का यूज करना उन्हें याद आ जाता है… और बनता तब टैक्नोलोजी के इस्तेमाल से एक नया एम एम एस .. जो उस लड़की की जिन्दगी में और उसके माता पिता की जिन्दगी में भी तूफ़ान ला देता है…. \
मैं पूछता हूँ क्या माता पिता का फर्ज नही है के वो अपने बच्चों को मोबाइल देने से पहले सोचें के इसकी जरूरत उसे है भी या नही… और अगर है तो कितनी… ???
क्यूँ माता पिता अपने बच्चों के दोस्तों पर नजर नही रखते… क्यूँ उन्होंने आज कल अपने बच्चों को आजादी दे रखी है….!! क्यूँ जब लड़की घर से बाहर रात को रहती है तो उसके माता पिता उसे नही रोकते ..?? क्यूँ नही देखा जाता के उनके बच्चे किसके साथ रातों को घर लौटते हैं..???
क्या टैक्नोलोजी के विकास के जब दुरूपयोग हो रहें हैं तो माता पिता को अपनी भूमिका में इजाफा नही कर देना चाहिए ..???
इन्ही कुछ सवालों के साथ आपको यहाँ छोड़े जा रहा हूँ…!
जवाब जरुर दीजियेगा…
आपके जवाबों के इन्तजार में…
आपका अपना
दीपक बलिदानी
एंकर / एक्टर
09990745048

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