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दोस्तों , मेरा ये शीर्षक शायद मेरे कुछ प्रिय पाठक दोस्तों को ठीक न लगे … परन्तु मैं आज के इस बदलते युग में, बदलती सोच के साथ बदलते युवाओं और यहाँ तक की बदलते बुजुर्गों के बदलते क्रियाकलापों को देखकर इस शीर्षक को पूर्ण और ठीक मानता हूँ!!!
एक बीते जमाने के सिने युग का बहुत ही प्यारा गाना याद आ रहा है ….. पल पल दीप जलाये….मेरी दोस्ती तेरा प्यार , मेरी दोस्ती तेरा प्यार!!
उस समय दोस्ती के मायने ही कुछ और थे… लोग अपनी दोस्ती और दोस्त के लिए अपनी जान तक दे दिया करते थे ! सबकुछ मेरा और मेरे दोस्त का यही होता था दिल और दिमाग में ! एक और पुराना उदहारण याद आता है फिल्म शोले के दोस्तों जय और वीरू का जो के आज तक भी हमारे दिलो में याद बनकर जिन्दा हैं!! और फिल्मों की ही क्यूँ बात करें बात करते हैं भगवान् श्री कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की!! क्या अनुपम, उत्कृष्ठ दोस्ती का प्रमाण है उन दोनों की दोस्ती! सुदामा के घाव जब श्री कृष्ण की पीठ पर देख कर माता रुकमनी बोली- नाथ ये क्या ? आपकी ये दशा कैसे? तब प्रभु ने दोस्त और दोस्ती की महिमा का बखान करते हुए कहा.. प्रिय ये मेरे नही सुदामा के घाव हैं परन्तु दोस्त की पीड़ा उसका दुःख, मेरी पीड़ा मेरा दुःख है ! यही दोस्ती का उसूल है और यही दोस्त की दोस्ती की पराकाष्ठा है!!
ये है दोस्ती – जिसका अर्थ है प्यार, निष्ठा, समर्पण!! पर क्या आज की इस चकाचोंध में दोस्ती सही मायने में दोस्ती रह गयी है??
मैं ये नही कहता के आज दोस्त नही , मैं ये नही कहता आज दोस्ती निभाई नही जाती, मैं ये भी नही कहता के आज हर कोई दोस्त और दोस्ती के रिश्ते को कलंकित कर रहा है!!! पर मैं ये कहने की कोशिश कर रहा हूँ के हमारी संस्कृति की संस्कारों भरी दोस्ती को आज के बदलते युग में चकाचोंध से भरी फ्रेंडशिप कड़ी टक्कर दे रही है , या ये कहूँ के सिर्फ टक्कर ही नही दे रही है बल्कि आज फ्रेंडशिप ने हमारे दिलो से दोस्ती के जज्बातों को लगभग खत्म ही कर दिया है!!
जी हाँ फ्रेंडशिप – आज के इस साइबर युग में जहाँ इन्टरनेट- फेसबुक, ऑरकुट, ट्विट्टर जैसे माध्यम हैं फ्रेंडशिप करने के वहाँ दोस्ती के मायने ही कहाँ रह जाते हैं!! आज लाखो युवा एक, दो नही न जाने कितनी ही झूठी आईडी बनाकर कितने ही लोगों से दोस्ती करते हैं .. माफ़ कीजियेगा, फ्रेंडशिप करते हैं और उन फ्रेंडशिप से बने रिश्तों का क्या औचित्य रह जाता है ये हम लोग आये दिन अखबारों और न्यूज़ चैनलों पर देख ही लेते हैं! एक अभी का बिलकुल नया उदहारण दे रहा हूँ अभी खबर मिली के कुछ दोस्तों ने साथ में घुमने आई लड़की से बलात्कार किया !! नही वो दोस्त नही फ्रेंडस थे… एक लड़की अपनी सहेली के साथ आई और उस सहेली के दोस्तों के साथ फ्रेंडशिप की बस फिल्म देखने चली गयी और जब लौटी तो अकेली वो भी अपने कोमार्य के बिना !! ये है आज के बदलते युग की दोस्ती जो अपने ही दोस्त की इज्जत को इज्जत नही समझती जब की पहले अपनी दोस्त तो छोड़ो अपने दोस्त के भी दोस्त की इज्जत अपनी जान से प्यारी हुआ करती थी !!
बिजनौर में दोस्तों ने ही मिलकर पैसों के लिए अपने दोस्त का अपहरण किया और पकडे जाने से डर कर उसे मौत के घाट उतार दिया… क्या उस मरने वाले ने दोस्ती कर के गलत किया था या फिर आज के जमाने में यही दोस्ती रह गयी है??? आज फेसबुक पर लड़के लड़कियों की आईडी बनाकर लड़कियों से दोस्ती करते नजर आते हैं… गलत नाम और गलत पहचान के सहारे न जाने कितनो से दोस्ती करके उनको धोखा देते हैं!! पिछले ही दिनों का एक केस मुझे याद आ रहा है .. एक व्यक्ति ने विवाह के लिए एक वेबसाइट पर एक गलत नाम और पहचान से आईडी बनाई और फिर कुछ पैसों के सहारे एक पांच सितारा होटल में रुक गया .. बस क्या था फिर उस वेबसाइट से उसने कितनी ही महिलाओं से संपर्क किया फ्रेंडशिप की और उन सभी को धोखा दे कर वो फरार होने वाला था के पकड़ा गया … तो क्या ये दोस्ती की पहचान और विश्वास पर कलंक नही है… और ये ही क्यूँ कुछ दिनों पहले टीवी पर एक एड आ रहा था जिसमे के एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति अपनी ही बेटी से एक फ्रेंडशिप करने वाली वेबसाइट पर फ्रेंडशिप करता हुआ नजर आ रहा था बस बात इतनी थी के दोनों ही गलत नाम और पहचान से फ्रेंडशिप के आनंद ले रहे थे और उन्हें ये भी पता नही चला के इस भागती हुई गलत सोच की दौड़ में वो बाप – बेटी के रिश्ते को ही गलत पहचान दे रहे थे !! आज छोटे छोटे बच्चे जिन्हें ढंग से बोलना भी नही आता है वो भी फ्रेंड बनाये हुए रहते हैं… मेरी आंटी का लड़का अभी स्कूल जाना शुरू हुआ है और कहता है ये मेरी दोस्त है … वो उसका दोस्त है… क्या कहें किसे कहें ये हमारा समाज किस ओर जा रहा है .. हम क्यूँ कुछ नही कर पा रहे हैं… क्या इसी तरह ये फ्रेंडशिप का मक्कड़ जाल हमें और हमारी आने वाली नस्लों को अपने में समाता रहेगा..?? आज स्कूल, कोलेजों में बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड होना एक स्टेटस की बात है.. जिस लड़के की गर्लफ्रेंड नही होती उसे पता नही अजीब नजरों से देखा जाता है …. ऐसे ही लड़कियों के बॉय फ्रेंड होने अनिवार्य हैं…. एक गाना याद आ गया … के अल्लाह जाने क्या होगा आगे… के मौला जाने क्या होगा आगे…!!!!!!
दोस्तों लिखने को तो इसमें बहुत कुछ है पर क्यूंकि मैं एक सार्थक लेखक नही हूँ .. मैं तो बस अपने विचारों को कुछ शब्दों में व्यक्त करने की कोशिश करता हूँ और उसी कोशिश के तहत मैंने दोस्ती और फ्रेंडशिप के बीच की गलत धारणा को उजागर करने की कोशिश की है!!
दोस्ती और फ्रेंडशिप में कोई अंतर नही है .. फ्रेंडशिप दोस्ती का ही अंग्रेजी रूप है पर इस अंग्रेजी रूप की भयावहता बहुत है ! ये रूप हिन्दुस्तानी संस्कृति में पली बढ़ी दोस्ती और उसके मायनो को अपने तरीके से बदल रहा है और ये ही आज हमारे समाज को दीमक की तरह खाने लग रहा है!! जहां पहले माता-पिता अपने बच्चों को दोस्तों के साथ महफूज समझते थे वहीँ आज दोस्ती के नाम से भी डरने लगे हैं!! एक के बाद एक दोस्ती के नाम पर होती हुई घटनाओं ने उनके दिलो-दिमाग पर बहुत गहरा और गलत असर किया है!! परन्तु हम लोग आज भी फ्रेंडशिप की अंधी दौड़ में भागते जा रहे हैं .. भागते जा रहे हैं!!!
गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड वाले इस समाज में कैसे दोस्ती की वो ही पुरानी सच्चाई और समर्पण से भरी पहचान बनेगी?? क्या कभी हम फिर एक बार दोस्त और दोस्ती पर यकीन कर पाएंगे! क्या एक बार फिर श्री कृष्ण और सुदामा जैसे दोस्तों को ये संस्कृति देख पायेगी? क्या फिर हम कभी ये दोस्ती हम कभी न तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे गीत को गुनगुना पाएंगे???
ये सभी सवाल आप सभी सम्मानित लेखकों और पाठकों के सम्मुख छोड़ रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ के आप सभी इन पर अपनी अपनी राय जरुर देंगे !!
इसी उम्मीद के साथ …
आपका अपना
दीपक गुप्ता
एंकर / एक्टर
09990745048
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