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खुले विचारों की लड़की क्या वाकई चरित्रहीन होती है ..??

Deepak's View
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रचना को कोर्ट में देख मेरी आंखें भींग गईं। आज वह अपने पति द्वारा दायर तलाक के मुकदमे का सामना करने आई थी। लेकिन चार साल पहले जब उसने शादी की थी, तब सीन कितना अलग था! तब वह हनीमून से वापस आई थी और उसने कुछ बहुत ही प्राइवेट बातें मुझसे शेयर की थीं। उसने मुझे चहकते हुए यह भी बताया था कि उसके पति से उसके ब्लाउज़ के बटन नहीं खुले, तो उसने खुद ही खोल दिए। तब हम दोनों ने मिलकर उसके पति का खूब मज़ाक उड़ाया था। मगर आज उसका पति उसी घटना को आधार बनाकर उसे खुले विचारों वाली कहकर तलाक देने पर अड़ा हुआ था। – अनु चौहान !!!!

आज के जमाने की खुले विचारों की लेखिका अनु चौहान जी के लिखे हुए लेख की इन लाइनों को यहाँ लाने का मेरा मकसद सिर्फ इतना है के इस घटना पर इस मंच के द्वारा तर्क-वितर्क हो सके…. मैं अनु जी के सवाल को उठता हूँ और ये पूछना चाहता हूँ के क्या सही में जो लड़की अपने पति से खुलके बात कर सके वो चरित्रहीन होती है?????

जब लड़के अपने दिल की बात बोल सकते हैं तो क्या लड़कियों को ये अधिकार नही है.?? हमारे समाज में जब शादी होती है तो ये क्यूँ नही समझा जाता के शादी लड़के और लड़की दोनों की होती है न के सिर्फ लड़के की…. बस सुहागरात आई और लड़का चल दिया अपने बरसों के सोये हुए अरमानों को पूरा करने .. बिना ये सोचे समझे के लड़की भी शायद कुछ चाहती होगी, उसके भी कुछ अरमान होते होंगे … नही शायद नही ये सोचने का वक़्त ही नही होता है उसके पास .. उसके दोस्त, रिश्तेदार सभी बस ये ही कहते रहते हैं के आज तो बस ……..
और होता भी वही है…. आज के समाज में भी ८५% से ज्यादा लड़के यही करते हैं लड़कियों की चाहत की कोई कीमत नही होती है!!!!
अनु जी ने जो यथार्थ बताया है वो सत्य है ऐसा हो रहा है और होता आया है! हमारे समाज में जो लडकियां अपने सपनो को जीना जानती है या जीना चाहती हैं उन्हें कोई ही शायद अच्छा कहता होगा… वर्ना उन्हें सब गलत नजरों से देखते हैं …

आज रावणों से भरे इस संसार में हर कोई बीबी सीता जैसी चाहता है…. मर्द किसी भी लड़की से प्यार, सेक्स, लेना-देना सबकुछ करना चाहते हैं पर उन्हें बीवियां ऐसी चाहियें जो उनके सिवा किसी की बात -जी हाँ बात भी न करें , जिनके कोई दोस्त न हों , जो किसी लड़के को जानती तक न हों….. क्यूँ???
हम लोग विज्ञानं पढ़ते हैं, टीवी देखतें हैं फिर भी यही सोचते हैं की जो मुझे पता है मेरी बीवी को न पता हो…. क्यूँ क्या वो टीवी नही देखती ? क्या उसने विज्ञान नही पढ़ा?? अगर मैं उससे अपने तरीके से सेक्स करने की बात कर सकता हूँ तो क्या वो मुझे अपनी इच्छाओं, अपनी संतुष्टि के लिए कुछ नही कह सकती???? अगर कहती है तो क्या वो चरित्रहीन हो जाती है??? वो हमारे समाज के लायक नही रहती है… क्या उन्हें किसी की माँ और पत्नी कहलाने का कोई हक़ नही है??? अगर शर्माना ही चरित्रवान होने की गारंटी है तो फिर हर लड़की सुहागरात के दिन बस शर्माएगी ही चाहे उसे अपनी कितनी ही इच्छाओं को दबाना क्यूँ न पड़े … सब कुछ मालूम होते हुए भी वो कुछ नही कहेगी क्यूंकि वो तो शादी करके आई है उसे अपनी और अपने परिवार के चरित्रों का ख्याल रखना है…बस वो एक काम कर सकती है एक बिना इच्छाओं वाली लड़की की तरह जी सकती है , बिना कुछ सुने, बिना कुछ कहे…

मैं आज इस मंच से अनु जी की आवाज में आवाज मिला कर यही कहना चाहता हूँ के खुले विचारों का होना किसी के भी चरित्र पर संदेह करने की इजाजत नही देता… और आप सभी के लिए मंच पर ये विचार प्रेश्रित करता हूँ अपने तर्क और अपने विचार रखिये….
इसी आशा के साथ..
आपका अपना
दीपक गुप्ता
एंकर / एक्टर
09990745048

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