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देह व्यापार – मजबूरी या भोगविलासिता

Deepak's View
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यह समय की विडंबना है या हम मानवों की बढती हुई इच्छाएं …… की जिस देश को उसकी संस्क्रती और अपनी परम्पराओं के लिए जाना जाता है आज उसी देश में देह व्यापार जैसे घिनोने कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है ! मैं अक्सर सुबह- सुबह ऑफिस जाने से पहले न्यूज़ सुनता हूँ और आये दिन उसमे देह व्यापार से जुड़े लोगो के पकडे जाने की ख़बरों से खुद बहुत ही शर्मिंदा महसूस करता हूँ और सोचता हूँ के ….. क्या आज हमारी जरूरतें इतनी बढ़ गयी हैं के उनकी पूर्ती के लिए हमें समाज के बनाये हुए नियमो और मर्यादाओं को तोडना पड़े ?? क्या वाकई हमारी इच्छाएं इतनी प्रबल हो गयी हैं के उन्हें शांत करने के लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं ??
कभी मुंबई के बार्स पर छापे में १५ लडकियां पकड़ी जाती हैं तो कभी दिल्ली और नॉएडा जैसे बड़े शहरों से लड़कियों के जत्थे देह व्यापार की काली कमाई पर खुद को बर्बाद करते हुए मिलते हैं ..!!!! आखिर ये देह व्यापार हमारे समाज में एक विषैले सर्प की भांति अपनी गन्दी काली कमाई की फुंकार से पूरे समाज को गन्दा करता जा रहा है और हम कुछ नही कर प् रहे हैं …. इसे रोकना होगा क्यूंकि आज कल की बढती हुई स्पर्धा और बेरोजगारी के बीच हमारे देश के युवा अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए देह व्यापार के सर्प की चपेट में आ रहे हैं और इस गंदे काले दलदल में बिना सोचे समझे धसे ही जा रहे हैं !!!!!
मैं ये बात इतनी सार्थकता के साथ इसलिए कह सकता हूँ क्यूंकि मैंने खुद इस सर्प की फुन्कारों को महसूस किया है … एक समय था जब मैं भी बेरोजगारी के चपेट में था और कहीं से कैसे भी पैसे कमाने की जुगत लगाता रहता था तभी एक दिन मुझे एक कॉल आई और मुझे देह व्यापार के इस काले दलदल के सुनहरे पैसों से भरपूर , हर ऐसो आराम को पूरा करने में सक्षम पहलू से अवगत कराया गया … मुझे हर खुशी , हर सपने को पूरा करने का माध्यम देह व्यापार बताया गया … और सच कहूँ तो एक बार मैं इस दलदल की तरफ आकर्षित हो ही गया था पर वो तो ये कहिये की मैं अपने माता पिता के साथ था और वो लोग बहुत ही उच्च विचारों वाले हैं और मैं उनके विचारों और संस्कारों की मजबूत लक्ष्मण रेखा को पार नही कर पाया … बच गया मैं इस दलदल में धसने से और आज एक स्वछ खुशहाल जिन्दगी जी रहा हूँ….!!!
पर यहाँ सवाल ये नही के मैं बच गया .. यहाँ सवाल है उन सभी का जो मेरी तरह अपने माता पिता के साथ नही रहते … उन सभी का जो माता पिता के साये से भी महरूम हैं … उन सभी का जो बेचारे माता पिता होते क्या हैं ये भी नही जानते ….ये सभी इस विषैले सर्प के शिकार बनते हैं और देह व्यापार के इस काले दलदल में धस जाते हैं और लाख कोशिशों के बावजूद अपने अस्तित्व को बचाने में नाकाम रहते हैं !!!!
सवाल यहाँ ये भी है क्या हम सभी या हमारी सरकारें इस सर्प को कुचलने के लिए कुछ करती हैं…?? वैसे देखा जाये तो बहुत कुछ किया जाता है पर शायद वादों में ….. जो सफेदपोश आज ऊँचे ओहदों पर बैठे हैं .. जो खुद हमारे समाज के मार्गदर्शक हैं … जिनके कंधो पर हमारी नव पीढ़ी की जिम्मेदारियां हैं …. वो खुद ही इस सर्प के विष के खरीददार हैं !!! पर कुछ सफेदपोश अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हैं तो ये सर्प और इसको बढ़ावा देने वाले लोग उन्हें उनके कर्तव्यों का पालन नही करने देते…..
अंत में मैं बस यही कहना चाहता हूँ के हमें खुद अपने ऊपर नियंत्रण रखना होगा , अपनी जरूरतों , इच्छाओं , सपनो को पूरा करने का दमखम खुद में पैदा करना होगा.. और पूरी शक्ति से इस सर्प को कुचलने में एक दुसरे का सहयोग करना होगा .. अन्यथा दोस्तों बेरोजगारी और बढ़ी हुई इच्छाओं के बोझ तले दबी हमारी नव पीढ़ी को ये सर्प अपनी आगोश में ले लेगा और शायद पहले किसी और के बच्चे और फिर एक – एक करके हम सभी के बच्चों को इस काले दलदल में धकेल देगा!!!!!!
नयी सुबह की नयी किरणों के साथ इस सर्प का दमन हो इसी आशा के साथ …..
आपका अपना
दीपक गुप्ता
एंकर/एक्टर
09990745048

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